रीवा रियासत और बघेलखण्ड: प्राचीन से आधुनिक इतिहास (प्रतियोगी परीक्षा हेतु)

रीवा रियासत

एक विस्तृत ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक सिंहावलोकन

शोध एवं संपादन: आचार्य आशीष मिश्र

बघेल राजवंश, जिसे सोलंकी या चालुक्य वंश की एक शाखा माना जाता है, ने मध्य भारत के बघेलखंड क्षेत्र पर सदियों तक शासन किया। उनकी राजधानी पहले गहोरा, फिर बांधवगढ़ और अंततः रीवा रही। इस राजवंश ने न केवल दिल्ली सल्तनत और मुगल साम्राज्य जैसे शक्तिशाली साम्राज्यों के उत्थान और पतन को देखा, बल्कि उनके साथ जटिल राजनीतिक, सैन्य और सांस्कृतिक संबंध भी स्थापित किए। बघेल शासकों ने कला, साहित्य और संगीत को उदारतापूर्वक संरक्षण दिया, जिसका सबसे प्रसिद्ध उदाहरण संगीत सम्राट तानसेन का महाराजा रामचंद्र के दरबार में होना है। यह पृष्ठ रीवा रियासत के गौरवशाली इतिहास, महत्वपूर्ण शासकों, पुरातात्त्विक धरोहरों, विदेशी शक्तियों के साथ संबंधों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक व्यापक अवलोकन प्रस्तुत करता है। नीचे दी गई तालिकाएँ इस विषय पर विस्तृत और तथ्यपरक जानकारी प्रदान करती हैं।

तालिका 1: प्रमुख बघेल शासक

यह तालिका बघेल राजवंश के कुछ प्रमुख शासकों, उनके अनुमानित शासनकाल, और उनके समय की महत्वपूर्ण राजनीतिक, सामाजिक, या सांस्कृतिक घटनाओं को दर्शाती है। अधिक जानकारी के लिए 'विवरण' बटन पर क्लिक करें।

शासक का नाम

अनुमानित शासनकाल

मुख्य जानकारी

व्याघ्रदेव (संस्थापक)

बघेल वंश के प्रवर्तक, गहोरा को राजधानी बनाया।

~1234 - 1245 ईस्वी

13वीं शताब्दी मध्य

विवरण
भैरवदेव (भैदचन्द्र)

राज्य का सुदृढ़ीकरण, जौनपुर सल्तनत से संघर्ष।

~1438 - 1470 ईस्वी

15वीं शताब्दी मध्य

विवरण
वीरसिंह देव बघेल

बघेल शक्ति का चरमोत्कर्ष, कालिंजर पर अधिकार।

~1500 - ~1535 ईस्वी

16वीं शताब्दी पूर्वार्ध

विवरण
वीरभानु (वीरभान सिंह)

हुमायूँ को शरण, 'वीरभानूदय काव्यम्' में वर्णित।

~1535 - ~1555 ईस्वी

16वीं शताब्दी मध्य

विवरण
महाराजा रामचंद्र बघेल

अकबर के समकालीन, तानसेन के आश्रयदाता।

~1555 - ~1592 ईस्वी

16वीं शताब्दी उत्तरार्ध

विवरण
महाराजा अनूप सिंह

राजधानी बांधवगढ़ से रीवा स्थानांतरित की।

~1640 - ~1660 ईस्वी

17वीं शताब्दी मध्य

विवरण
महाराजा अजीत सिंह

बुंदेला और मराठा आक्रमणों का सामना किया।

~1755 - ~1809 ईस्वी

18वीं शताब्दी उत्तरार्ध

विवरण
महाराजा जय सिंह देव

1812-13 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से संधि।

~1809 - ~1835 ईस्वी

19वीं शताब्दी पूर्वार्ध

विवरण
महाराजा रघुराज सिंह

1857 में ब्रिटिश समर्थक, 'स्टार ऑफ इंडिया' उपाधि।

~1854 - ~1880 ईस्वी

19वीं शताब्दी उत्तरार्ध

विवरण
महाराजा मार्तंड सिंह जुदेव

अंतिम शासक, भारत में विलय, सफेद बाघों के प्रजनक।

~1946 - (1948 में विलय)

20वीं शताब्दी मध्य

विवरण

तालिका 2: प्रमुख पुरातात्त्विक स्थल

यह तालिका रीवा और आसपास के क्षेत्र के महत्वपूर्ण पुरातात्त्विक स्थलों, उनके कालखंड और प्रमुख विशेषताओं को दर्शाती है।

स्थल का नाम

जिला (वर्तमान)

कालखंड (अनुमानित)

मुख्य जानकारी

गिंजा पहाड़/बदवार

प्रागैतिहासिक शैलाश्रय, शैल चित्र।

रीवा

मध्य प्रदेश

मध्यपाषाण से ऐतिहासिक

~8000 ई.पू. से आगे

विवरण
कोल्डीहवा, महगड़ा

चावल की खेती के प्राचीनतम साक्ष्य।

प्रयागराज (निकटवर्ती)

उत्तर प्रदेश

नवपाषाण काल

~6500-4500 ई.पू.

विवरण
देउरकोठार

विशाल बौद्ध स्तूप परिसर, अशोककालीन।

रीवा

मध्य प्रदेश

मौर्य काल से गुप्त काल

3री श. ई.पू. - 5वीं श. ई.

विवरण
भरहुत स्तूप

शुंगकालीन कला का उत्कृष्ट उदाहरण, वेदिका अवशेष।

सतना (निकटवर्ती)

मध्य प्रदेश

शुंग काल

~दूसरी शताब्दी ई.पू.

विवरण
बंधवगढ़ किला

अभेद्य दुर्ग, गुप्तकालीन प्रतिमाएँ, बघेल राजधानी।

उमरिया

मध्य प्रदेश

प्राचीन काल से 17वीं श. ई.

रामायणकालीन से बघेल काल

विवरण
गुर्गी-महसांव

कल्चुरीकालीन शैव केंद्र, मत्तमयूर संप्रदाय।

रीवा

मध्य प्रदेश

कल्चुरी काल

9वीं-12वीं शताब्दी ई.

विवरण
रीवा का किला

बघेलों की बाद की राजधानी, महामृत्युंजय मंदिर।

रीवा

मध्य प्रदेश

बघेल काल (17वीं श. से)

उत्तर मध्यकाल से आधुनिक

विवरण
चचाई एवं केवटी जलप्रपात

प्राकृतिक धरोहर, निकटवर्ती प्राचीन स्थल।

रीवा

मध्य प्रदेश

प्रागैतिहासिक से वर्तमान

प्राकृतिक विरासत

विवरण
गहोरा

बघेलों की प्रथम राजधानी, प्राचीन दुर्ग के अवशेष।

चित्रकूट (निकटवर्ती)

उत्तर प्रदेश

प्रारंभिक बघेल काल

~13वीं-14वीं शताब्दी

विवरण
गोविंदगढ़ किला व तालाब

ग्रीष्मकालीन राजधानी, सफेद बाघ 'मोहन' का निवास।

रीवा

मध्य प्रदेश

आधुनिक काल

19वीं-20वीं शताब्दी

विवरण

तालिका 3: विदेशी शक्तियों के साथ संबंध

रीवा रियासत के विभिन्न विदेशी शक्तियों और साम्राज्यों के साथ संबंधों और महत्वपूर्ण घटनाओं का एक संक्षिप्त विवरण।

शक्ति/साम्राज्य

कालखंड

संबंध का स्वरूप

मुख्य जानकारी

कल्चुरी साम्राज्य

त्रिपुरी के कल्चुरी (पूर्ववर्ती शक्ति)।

10वीं - 13वीं श.

पूर्व-बघेल काल

उत्तराधिकार एवं संघर्ष। बघेलों ने कल्चुरियों के पतन से उत्पन्न शून्य को भरा।

क्षेत्रीय उत्तराधिकार

विवरण
दिल्ली सल्तनत

खिलजी, तुगलक, लोधी वंश।

13वीं - 16वीं श.

प्रारंभिक मध्यकाल

टकराव, अधीनता और अर्ध-स्वायत्तता।

अस्थिर एवं चुनौतीपूर्ण संबंध

विवरण
जौनपुर सल्तनत

शर्की राजवंश।

14वीं - 15वीं श.

मध्यकाल

निरंतर सीमा संघर्ष और कूटनीतिक दबाव।

प्रतिद्वंद्विता

विवरण
गोंड साम्राज्य

गढ़ा-मंडला के गोंड शासक।

15वीं - 18वीं श.

मध्यकाल

सीमावर्ती संघर्ष, वैवाहिक संबंध और कभी-कभी सहयोग।

मिश्रित संबंध

विवरण
मुगल साम्राज्य

बाबर से परवर्ती मुगल।

16वीं - 18वीं श.

मध्यकाल से उत्तर मध्यकाल

मैत्री, अधीनता, मनसबदारी, सांस्कृतिक आदान-प्रदान।

सहयोग और अधीनता

विवरण
बुंदेला राज्य (पन्ना)

महाराजा छत्रसाल और उनके उत्तराधिकारी।

17वीं - 18वीं श.

उत्तर मध्यकाल

क्षेत्रीय प्रभुत्व के लिए संघर्ष, सीमा विवाद।

प्रतिद्वंद्विता और दबाव

विवरण
मराठा (मुख्यतः भोंसले)

नागपुर के भोंसले और अन्य मराठा सरदार।

18वीं - 19वीं श. प्रारंभ

उत्तर मध्यकाल

चौथ वसूली, आक्रमण, आर्थिक शोषण।

संघर्ष और आर्थिक बोझ

विवरण
पिंडारी

अमीर खान, चीतू पिंडारी जैसे सरदार।

18वीं श. अंत - 19वीं श. प्रारंभ

अराजकता का काल

लूटमार, विनाश और आतंक।

भयावह आक्रमण

विवरण
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी/क्राउन

सहायक संधि से विलय तक।

1812 - 1947 ई.

औपनिवेशिक काल

संरक्षण, राजनीतिक नियंत्रण, प्रशासनिक सुधार।

संरक्षण से अधीनता

विवरण
भारतीय संघ

स्वतंत्र भारत सरकार।

1947 - 1948 ई.

विलय का काल

रियासत का भारत में विलय और एकीकरण।

एकीकरण

विवरण

तालिका 4: प्रमुख साहित्यिक एवं ऐतिहासिक स्रोत

इस तालिका में रीवा और बघेलखंड के इतिहास व संस्कृति से संबंधित महत्वपूर्ण साहित्यिक, पुरातात्त्विक और ऐतिहासिक स्रोतों का उल्लेख है, जो इस क्षेत्र के अतीत को समझने में सहायक हैं।

स्रोत का प्रकार

ग्रंथ/लेखक/स्थल

कालखंड

भाषा/माध्यम

मुख्य जानकारी

पुरातात्विक साक्ष्य

अभिलेख, सिक्के, स्मारक।

देउरकोठार, गुर्गी, बांधवगढ़, सुपिया, भरहुत।
मौर्य काल से आधुनिक

विविध कालखंड

पत्थर, धातु, मिट्टी

भौतिक अवशेष

विवरण
फ़ारसी तवारीख

मुगलकालीन इतिवृत्त।

अकबरनामा, बादशाहनामा, मुंतखब-उत-तवारीख।
16वीं - 17वीं श.

मध्यकाल

फ़ारसी

लिखित पांडुलिपियाँ

विवरण
बघेल वंशावली/काव्य

स्थानीय साहित्यिक रचनाएँ।

वीरभानूदय काव्यम्, आनंद रघुनंदन, बघेल वंश वर्णनम्।
16वीं - 19वीं श.

मध्य से आधुनिक काल

संस्कृत, बघेली, हिंदी

लिखित पांडुलिपियाँ

विवरण
ब्रिटिशकालीन दस्तावेज़

गजेटियर, रिपोर्ट, संधियाँ।

रीवा स्टेट गजेटियर (सी.ई. ल्यूर्ड), प्रशासनिक रिपोर्टें।
19वीं - 20वीं श.

औपनिवेशिक काल

अंग्रेजी, हिंदी

लिखित, मुद्रित

विवरण
लोक परंपराएँ

लोकगीत, लोककथाएँ।

फाग, बिरहा, सोहर, आल्हा, स्थानीय गाथाएँ।
अज्ञात से वर्तमान

मौखिक परंपरा

बघेली, हिंदी

मौखिक

विवरण
मराठा दस्तावेज़

पेशवा दफ्तर के रिकॉर्ड।

पूना से प्राप्त पत्र, हिसाब-किताब के ब्योरे।
18वीं - 19वीं श.

उत्तर मध्यकाल

मराठी (मोड़ी लिपि)

लिखित पांडुलिपियाँ

विवरण
संत साहित्य

कबीर और अन्य संतों से जुड़ी परंपराएँ।

कबीर चौरा (बांधवगढ़), स्थानीय संत परंपराएँ।
15वीं श. से

मध्यकाल से

हिंदी, अवधी

मौखिक एवं लिखित

विवरण
यात्रा वृत्तांत

विदेशी यात्रियों के विवरण।

फाहियान, ह्वेनसांग (निकटवर्ती क्षेत्र), ब्रिटिश अधिकारी।
5वीं श. से 19वीं श.

प्राचीन से आधुनिक

चीनी, अंग्रेजी

लिखित

विवरण
मुद्राशास्त्र (सिक्काशास्त्र)

विभिन्न कालों के सिक्के।

आहत, गुप्त, कल्चुरी, मघ, मुगल, बघेल सिक्के।
6ठी श. ई.पू. से 20वीं श.

प्राचीन से आधुनिक

चाँदी, तांबा, सोना

धातु अवशेष

विवरण
राजकीय अभिलेखागार

रीवा दरबार के रिकॉर्ड।

राज्य के फरमान, भूमि अनुदान पत्र, न्यायिक निर्णय।
18वीं - 20वीं श.

आधुनिक काल

हिंदी, बघेली, अंग्रेजी

लिखित, मुद्रित

विवरण

तालिका 5: सांस्कृतिक प्रभाव और विरासत

यह तालिका रीवा रियासत के प्रमुख सांस्कृतिक पहलुओं और उसकी समृद्ध एवं स्थायी विरासत को दर्शाती है, जिसने इस क्षेत्र को एक विशिष्ट पहचान दी है।

सांस्कृतिक पहलू

मुख्य बिंदु

विस्तृत जानकारी

भाषा और साहित्य

बघेली का माधुर्य, हिंदी और संस्कृत की परंपरा।

बघेली लोकभाषा, हिंदी का प्रथम नाटक 'आनंद रघुनंदन'

विवरण
कला और स्थापत्य

मंदिर, किले, महल और मूर्तिकला की धरोहर।

गुर्गी मंदिर, बांधवगढ़ किला, व्यंकट भवन।

विवरण
संगीत और नृत्य

तानसेन की कर्मभूमि, ध्रुपद गायकी, लोक परंपराएँ।

संगीत सम्राट तानसेन, बघेली लोकगीत, करमा-सैला नृत्य।

विवरण
धार्मिक परंपराएँ

शैव, वैष्णव और शाक्त मतों का संगम।

मत्तमयूर शैव संप्रदाय, रामभक्ति, देवी उपासना।

विवरण
त्योहार एवं उत्सव

सांस्कृतिक जीवंतता और सामुदायिक मेल-जोल।

होली (फाग), दीपावली, दशहरा, शिवरात्रि, नवरात्रि।

विवरण
व्यंजन और खान-पान

पारंपरिक बघेली स्वाद और स्थानीय उपज।

इंद्रहर, रिकमच, दाल-बाटी, सुंदरजा आम।

विवरण
वेश-भूषा एवं आभूषण

पारंपरिक परिधान और अलंकार की शैली।

धोती-कुर्ता, साड़ी, चाँदी के गहने।

विवरण
सामाजिक संरचना

जाति व्यवस्था, संयुक्त परिवार और ग्राम पंचायत।

सामंती प्रभाव, संयुक्त परिवार, पंचायती राज।

विवरण
वन्यजीव विरासत

सफेद बाघ की भूमि, समृद्ध जैव विविधता।

सफेद बाघ 'मोहन', बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान।

विवरण
शिक्षा एवं विद्वता

दरबारी संरक्षण और आधुनिक शिक्षा का प्रसार।

दरबार कॉलेज (टी.आर.एस.), संस्कृत पाठशालाएँ।

विवरण
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