रीवा का इतिहास: बघेल राजवंश, मुगल संपर्क और ब्रिटिश काल | बेहद रोचक और रोमांचक

रीवा रियासत

एक विस्तृत ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक सिंहावलोकन

शोध एवं संपादन: आचार्य आशीष मिश्र

बघेल राजवंश, जिसे सोलंकी या चालुक्य वंश की एक शाखा माना जाता है, ने मध्य भारत के बघेलखंड क्षेत्र पर सदियों तक शासन किया। उनकी राजधानी पहले गहोरा, फिर बांधवगढ़ और अंततः रीवा रही। इस राजवंश ने न केवल दिल्ली सल्तनत और मुगल साम्राज्य जैसे शक्तिशाली साम्राज्यों के उत्थान और पतन को देखा, बल्कि उनके साथ जटिल राजनीतिक, सैन्य और सांस्कृतिक संबंध भी स्थापित किए। बघेल शासकों ने कला, साहित्य और संगीत को उदारतापूर्वक संरक्षण दिया, जिसका सबसे प्रसिद्ध उदाहरण संगीत सम्राट तानसेन का महाराजा रामचंद्र के दरबार में होना है। यह पृष्ठ रीवा रियासत के गौरवशाली इतिहास, महत्वपूर्ण शासकों, पुरातात्त्विक धरोहरों, विदेशी शक्तियों के साथ संबंधों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक व्यापक अवलोकन प्रस्तुत करता है। नीचे दी गई तालिकाएँ इस विषय पर विस्तृत और तथ्यपरक जानकारी प्रदान करती हैं।

तालिका 1: प्रमुख बघेल शासक

यह तालिका बघेल राजवंश के कुछ प्रमुख शासकों, उनके अनुमानित शासनकाल, और उनके समय की महत्वपूर्ण राजनीतिक, सामाजिक, या सांस्कृतिक घटनाओं को दर्शाती है। अधिक जानकारी के लिए 'विवरण' बटन पर क्लिक करें।

शासक का नाम

अनुमानित शासनकाल

मुख्य जानकारी

महाराजा अमर सिंह

मुगल निष्ठा और क्षेत्रीय सुदृढ़ीकरण के प्रतीक।

1624 - 1640 ईस्वी

17वीं शताब्दी पूर्वार्ध

विवरण
महाराजा अनूप सिंह

शौर्य, सम्मान और राज्य विस्तार के प्रणेता।

1640 - 1660 ईस्वी

17वीं शताब्दी मध्य

विवरण
महाराजा भाव सिंह

सांस्कृतिक पुनर्जागरण और निर्माण के शिल्पी।

1660 - 1690 ईस्वी

17वीं शताब्दी उत्तरार्ध

विवरण
महाराजा अजीत सिंह

शरणागत वत्सलता और संक्रमण काल के साक्षी।

1755 - 1809 ईस्वी

18वीं शताब्दी उत्तरार्ध

विवरण
महाराजा जय सिंह

ब्रिटिश संधि और एक नए युग का सूत्रपात।

1809 - 1833 ईस्वी

19वीं शताब्दी पूर्वार्ध

विवरण
महाराजा विश्वनाथ सिंह

प्रशासनिक सुधारक और साहित्यकार।

1833 - 1854 ईस्वी

19वीं शताब्दी मध्य

विवरण
महाराजा रघुराज सिंह

1857 के संग्राम के जटिल व्यक्तित्व।

1854 - 1880 ईस्वी

19वीं शताब्दी उत्तरार्ध

विवरण
महाराजा वेंकटरमण सिंह

आधुनिक रीवा के निर्माता और सुधारक।

1880 - 1918 ईस्वी

19वीं श. अंत से 20वीं श. प्रारंभ

विवरण
महाराजा गुलाब सिंह

प्रगतिशील सुधारक और राष्ट्रवादी शासक।

1918 - 1946 ईस्वी

20वीं शताब्दी पूर्वार्ध

विवरण
महाराजा मार्तंड सिंह जुदेव

अंतिम शासक, विलय के प्रणेता, सफेद बाघ के संरक्षक।

1946 - 1948 (विलय)

20वीं शताब्दी मध्य

विवरण

तालिका 2: प्रमुख पुरातात्त्विक स्थल

यह तालिका रीवा और आसपास के क्षेत्र के महत्वपूर्ण पुरातात्त्विक स्थलों, उनके कालखंड और प्रमुख विशेषताओं को दर्शाती है।

स्थल का नाम

जिला (वर्तमान)

कालखंड (अनुमानित)

मुख्य जानकारी

देउर कोठार

विशाल बौद्ध स्तूप परिसर, अशोककालीन।

रीवा

मध्य प्रदेश

मौर्य काल (तीसरी शती ई.पू.)

प्राचीन भारत

विवरण
बांधवगढ़ किला

अभेद्य दुर्ग, बघेलों की प्राचीन राजधानी।

उमरिया

मध्य प्रदेश

प्राचीन काल से 17वीं श. ई.

बघेल काल तक

विवरण
रीवा का किला

बघेल सत्ता का केंद्र, महामृत्युंजय मंदिर।

रीवा

मध्य प्रदेश

17वीं शताब्दी से

बघेल काल से आधुनिक

विवरण
रानी तालाब

जनकल्याण और स्थापत्य का सुंदर उदाहरण।

रीवा

मध्य प्रदेश

17वीं शताब्दी (भाव सिंह काल)

उत्तर मध्यकाल

विवरण
महामृत्युंजय मंदिर

अद्वितीय स्थापत्य और गहरी आस्था का केंद्र।

रीवा

मध्य प्रदेश

17वीं शताब्दी (भाव सिंह काल)

उत्तर मध्यकाल

विवरण
वेंकट भवन

इंडो-सारसेनिक शैली का भव्य महल।

रीवा

मध्य प्रदेश

1908 ई. (वेंकटरमण सिंह काल)

आधुनिक काल

विवरण
गोविंदगढ़ किला व तालाब

ग्रीष्मकालीन राजधानी, सफेद बाघ 'मोहन' का घर।

रीवा

मध्य प्रदेश

19वीं शताब्दी (रघुराज सिंह काल)

आधुनिक काल

विवरण
मुकुन्दपुर गढ़ी

शाह आलम द्वितीय की शरणस्थली।

सतना (निकटवर्ती)

मध्य प्रदेश

18वीं शताब्दी

उत्तर मध्यकाल

विवरण
अमरपाटन की गढ़ी

प्रारंभिक बघेल सामरिक चौकी।

सतना

मध्य प्रदेश

17वीं शताब्दी (अमर सिंह काल)

पूर्व मध्यकाल

विवरण
लक्ष्मणबाग परिसर

कलात्मक मंदिर समूह और धार्मिक केंद्र।

रीवा

मध्य प्रदेश

19वीं शताब्दी (रघुराज सिंह काल)

आधुनिक काल

विवरण

तालिका 3: विदेशी शक्तियों के साथ संबंध

रीवा रियासत के विभिन्न विदेशी शक्तियों और साम्राज्यों के साथ संबंधों और महत्वपूर्ण घटनाओं का एक संक्षिप्त विवरण।

शक्ति/साम्राज्य

कालखंड

संबंध का स्वरूप

मुख्य जानकारी

जौनपुर सल्तनत

शर्की राजवंश (पूर्ववर्ती)।

14वीं - 15वीं श.

पूर्व-मुगल काल

निरंतर सीमा संघर्ष और क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता।

क्षेत्रीय संघर्ष

विवरण
प्रारंभिक मुगल साम्राज्य

बाबर, हुमायूँ, अकबर।

16वीं शताब्दी

प्रारंभिक मध्यकाल

मैत्री, शरण और अंततः सौहार्दपूर्ण अधीनता।

मैत्रीपूर्ण संबंध

विवरण
परवर्ती मुगल साम्राज्य

जहाँगीर, शाहजहाँ, औरंगजेब।

17वीं - 18वीं श. प्रारंभ

उत्तर मध्यकाल

सहयोग, मनसबदारी और बदलती निष्ठा।

कूटनीतिक संतुलन

विवरण
बुंदेला राज्य (ओरछा/पन्ना)

जुझारू सिंह, पहार सिंह, हृद्यशाह।

17वीं - 18वीं श.

उत्तर मध्यकाल

क्षेत्रीय प्रभुत्व के लिए तीव्र संघर्ष और आक्रमण।

प्रतिद्वंद्विता और संघर्ष

विवरण
मराठा साम्राज्य (भोंसले)

नागपुर के भोंसले और अन्य सरदार।

18वीं - 19वीं श. प्रारंभ

अराजकता का काल

चौथ वसूली, विनाशकारी आक्रमण और आर्थिक शोषण।

आर्थिक बोझ

विवरण
पिंडारी

अमीर खान जैसे लुटेरे सरदार।

18वीं श. अंत - 19वीं श. प्रारंभ

आतंक का काल

अमानवीय लूटमार, विनाश और आतंक का पर्याय।

भयावह आक्रमण

विवरण
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी

सहायक संधि और बढ़ता नियंत्रण।

1812 - 1858 ई.

औपनिवेशिक काल का प्रारंभ

संरक्षण, संधिबद्ध संबंध और हस्तक्षेप।

संरक्षण से नियंत्रण

विवरण
ब्रिटिश क्राउन (1858 के बाद)

सीधा नियंत्रण और संस्थागत सुधार।

1858 - 1947 ई.

उच्च औपनिवेशिक काल

सर्वोच्चता, प्रशासनिक आधुनिकीकरण और वित्तीय नियंत्रण।

प्रत्यक्ष नियंत्रण

विवरण
सेंगर राजपूत (मऊ)

स्थानीय शक्ति और विद्रोह।

17वीं शताब्दी अंत

उत्तर मध्यकाल

विद्रोह, विश्वासघात और दमन।

आंतरिक संघर्ष

विवरण
भारतीय संघ

स्वतंत्र भारत सरकार।

1947 - 1948 ई.

विलय का काल

रियासत का भारत में विलय और एकीकरण।

एकीकरण

विवरण

तालिका 4: प्रमुख साहित्यिक एवं ऐतिहासिक स्रोत

इस तालिका में रीवा और बघेलखंड के इतिहास व संस्कृति से संबंधित महत्वपूर्ण साहित्यिक, पुरातात्विक और ऐतिहासिक स्रोतों का उल्लेख है, जो इस क्षेत्र के अतीत को समझने में सहायक हैं।

स्रोत का प्रकार

ग्रंथ/लेखक/स्थल

कालखंड

भाषा/माध्यम

मुख्य जानकारी

बघेल दरबारी साहित्य

स्थानीय काव्य और ग्रंथ।

अमररेश विलास (कवि नीलकण्ठ), बघेलवंशवर्णनम् (रूपणि शर्मा)।
17वीं - 18वीं श.

उत्तर मध्यकाल

संस्कृत, हिंदी

लिखित पांडुलिपियाँ

विवरण
शासकों द्वारा रचित ग्रंथ

स्वयं राजाओं की साहित्यिक कृतियाँ।

हौत्र कल्पद्रुम (भाव सिंह), जगदीश शतक (रघुराज सिंह)।
17वीं - 19वीं श.

मध्य से आधुनिक काल

संस्कृत, हिंदी

लिखित पांडुलिपियाँ

विवरण
मुगलकालीन फारसी तवारीखें

मुगल दरबार के इतिवृत्त।

पादशाहनामा, आलमगीरनामा, नुस्खा-ए-दिलकुशा।
17वीं - 18वीं श.

उत्तर मध्यकाल

फ़ारसी

लिखित पांडुलिपियाँ

विवरण
ब्रिटिश गजेटियर एवं रिपोर्टें

औपनिवेशिक काल के आधिकारिक दस्तावेज़।

रीवा स्टेट गजेटियर (सी.ई. ल्यूर्ड), प्रशासनिक रिपोर्टें।
19वीं - 20वीं श.

औपनिवेशिक काल

अंग्रेजी, हिंदी

मुद्रित

विवरण
संधियाँ और सनदें

कानूनी और राजनयिक दस्तावेज़।

एचीसन का \'कलेक्शन ऑफ ट्रीटीज\', विलय पत्र।
19वीं - 20वीं श.

आधुनिक काल

अंग्रेजी, हिंदी

आधिकारिक दस्तावेज़

विवरण
राष्ट्रीय अभिलेखागार के रिकॉर्ड

गोपनीय सरकारी पत्राचार।

विदेश और राजनीतिक विभाग की फाइलें (NAI)।
19वीं - 20वीं श.

औपनिवेशिक काल

अंग्रेजी

आधिकारिक फाइलें

विवरण
स्थानीय परंपराएँ और जनश्रुतियाँ

मौखिक इतिहास और लोकगाथाएँ।

ठाकुर रणमत सिंह की गाथाएँ, स्थानीय किंवदंतियाँ।
अज्ञात से वर्तमान

मौखिक परंपरा

बघेली, हिंदी

मौखिक

विवरण
पुरातात्विक साक्ष्य

स्थापत्य, अभिलेख, मूर्तियाँ।

महामृत्युंजय मंदिर, रानी तालाब, वेंकट भवन।
17वीं - 20वीं श.

उत्तर मध्यकाल से आधुनिक

पत्थर, ईंट, धातु

भौतिक अवशेष

विवरण
आधुनिक शोध ग्रंथ

विद्वानों द्वारा लिखे गए इतिहास।

रीवा राज्य का दर्पण (जीतन सिंह), विंध्य क्षेत्र का इतिहास (श्रीवास्तव)।
20वीं - 21वीं श.

आधुनिक शोध

हिंदी, अंग्रेजी

मुद्रित पुस्तकें

विवरण
मुद्राशास्त्र (सिक्काशास्त्र)

रियासतकालीन सिक्के।

बघेल शासकों के नाम से जारी सिक्के, ब्रिटिशकालीन सिक्के।
18वीं - 20वीं श.

आधुनिक काल

तांबा, चाँदी

धातु अवशेष

विवरण

तालिका 5: सांस्कृतिक प्रभाव और विरासत

यह तालिका रीवा रियासत के प्रमुख सांस्कृतिक पहलुओं और उसकी समृद्ध एवं स्थायी विरासत को दर्शाती है, जिसने इस क्षेत्र को एक विशिष्ट पहचान दी है।

सांस्कृतिक पहलू

मुख्य बिंदु

विस्तृत जानकारी

साहित्यिक संरक्षण

संस्कृत और हिंदी साहित्य की परंपरा।

शासकों की रचनाएँ, दरबारी कवियों को आश्रय।

विवरण
स्थापत्य एवं निर्माण

मंदिर, महल और जनकल्याणकारी संरचनाएँ।

महामृत्युंजय मंदिर, रानी तालाब, वेंकट भवन।

विवरण
कूटनीतिक कौशल

बदलते साम्राज्यों के बीच संतुलन।

मुगल, मराठा और ब्रिटिशों के साथ संबंध।

विवरण
धार्मिक सहिष्णुता एवं आस्था

शैव, वैष्णव और शाक्त मतों का संगम।

जगन्नाथ भक्ति, महामृत्युंजय की स्थापना।

विवरण
शरणागत वत्सलता

शरण में आए लोगों की रक्षा का मूल्य।

हुमायूँ और शाह आलम द्वितीय को शरण देना।

विवरण
प्रशासनिक आधुनिकीकरण

परंपरागत व्यवस्था में सुधार के प्रयास।

भू-राजस्व बंदोबस्त, नए विभागों की स्थापना।

विवरण
सैन्य परंपरा

शौर्य, प्रतिरोध और आधुनिकीकरण।

बुंदेला प्रतिरोध, "हनूहंकार" तोप, सेना का आधुनिकीकरण।

विवरण
कला एवं नाट्य संरक्षण

दरबारी कला और लोक कला को प्रोत्साहन।

तानसेन की परंपरा, बघेलखण्ड नाटक कम्पनी।

विवरण
वन्यजीव विरासत (सफेद बाघ)

प्रकृति संरक्षण और विश्व प्रसिद्ध पहचान।

सफेद बाघ \'मोहन\', लैंड ऑफ व्हाइट टाइगर्स।

विवरण
शहरी विकास

राजधानी रीवा का सौंदर्यीकरण और विकास।

गोला घर, कचहरी भवन, पीली कोठी का निर्माण।

विवरण
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