रीवा रियासत
एक विस्तृत ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक सिंहावलोकन
बघेल राजवंश, जिसे सोलंकी या चालुक्य वंश की एक शाखा माना जाता है, ने मध्य भारत के बघेलखंड क्षेत्र पर सदियों तक शासन किया। उनकी राजधानी पहले गहोरा, फिर बांधवगढ़ और अंततः रीवा रही। इस राजवंश ने न केवल दिल्ली सल्तनत और मुगल साम्राज्य जैसे शक्तिशाली साम्राज्यों के उत्थान और पतन को देखा, बल्कि उनके साथ जटिल राजनीतिक, सैन्य और सांस्कृतिक संबंध भी स्थापित किए। बघेल शासकों ने कला, साहित्य और संगीत को उदारतापूर्वक संरक्षण दिया, जिसका सबसे प्रसिद्ध उदाहरण संगीत सम्राट तानसेन का महाराजा रामचंद्र के दरबार में होना है। यह पृष्ठ रीवा रियासत के गौरवशाली इतिहास, महत्वपूर्ण शासकों, पुरातात्त्विक धरोहरों, विदेशी शक्तियों के साथ संबंधों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक व्यापक अवलोकन प्रस्तुत करता है। नीचे दी गई तालिकाएँ इस विषय पर विस्तृत और तथ्यपरक जानकारी प्रदान करती हैं।
तालिका 1: प्रमुख बघेल शासक
यह तालिका बघेल राजवंश के कुछ प्रमुख शासकों, उनके अनुमानित शासनकाल, और उनके समय की महत्वपूर्ण राजनीतिक, सामाजिक, या सांस्कृतिक घटनाओं को दर्शाती है। अधिक जानकारी के लिए 'विवरण' बटन पर क्लिक करें।
शासक का नाम
अनुमानित शासनकाल
मुख्य जानकारी
मुगल निष्ठा और क्षेत्रीय सुदृढ़ीकरण के प्रतीक।
17वीं शताब्दी पूर्वार्ध
शौर्य, सम्मान और राज्य विस्तार के प्रणेता।
17वीं शताब्दी मध्य
सांस्कृतिक पुनर्जागरण और निर्माण के शिल्पी।
17वीं शताब्दी उत्तरार्ध
शरणागत वत्सलता और संक्रमण काल के साक्षी।
18वीं शताब्दी उत्तरार्ध
ब्रिटिश संधि और एक नए युग का सूत्रपात।
19वीं शताब्दी पूर्वार्ध
प्रशासनिक सुधारक और साहित्यकार।
19वीं शताब्दी मध्य
1857 के संग्राम के जटिल व्यक्तित्व।
19वीं शताब्दी उत्तरार्ध
आधुनिक रीवा के निर्माता और सुधारक।
19वीं श. अंत से 20वीं श. प्रारंभ
प्रगतिशील सुधारक और राष्ट्रवादी शासक।
20वीं शताब्दी पूर्वार्ध
अंतिम शासक, विलय के प्रणेता, सफेद बाघ के संरक्षक।
20वीं शताब्दी मध्य
तालिका 2: प्रमुख पुरातात्त्विक स्थल
यह तालिका रीवा और आसपास के क्षेत्र के महत्वपूर्ण पुरातात्त्विक स्थलों, उनके कालखंड और प्रमुख विशेषताओं को दर्शाती है।
स्थल का नाम
जिला (वर्तमान)
कालखंड (अनुमानित)
मुख्य जानकारी
विशाल बौद्ध स्तूप परिसर, अशोककालीन।
मध्य प्रदेश
प्राचीन भारत
अभेद्य दुर्ग, बघेलों की प्राचीन राजधानी।
मध्य प्रदेश
बघेल काल तक
बघेल सत्ता का केंद्र, महामृत्युंजय मंदिर।
मध्य प्रदेश
बघेल काल से आधुनिक
जनकल्याण और स्थापत्य का सुंदर उदाहरण।
मध्य प्रदेश
उत्तर मध्यकाल
अद्वितीय स्थापत्य और गहरी आस्था का केंद्र।
मध्य प्रदेश
उत्तर मध्यकाल
इंडो-सारसेनिक शैली का भव्य महल।
मध्य प्रदेश
आधुनिक काल
ग्रीष्मकालीन राजधानी, सफेद बाघ 'मोहन' का घर।
मध्य प्रदेश
आधुनिक काल
शाह आलम द्वितीय की शरणस्थली।
मध्य प्रदेश
उत्तर मध्यकाल
प्रारंभिक बघेल सामरिक चौकी।
मध्य प्रदेश
पूर्व मध्यकाल
कलात्मक मंदिर समूह और धार्मिक केंद्र।
मध्य प्रदेश
आधुनिक काल
तालिका 3: विदेशी शक्तियों के साथ संबंध
रीवा रियासत के विभिन्न विदेशी शक्तियों और साम्राज्यों के साथ संबंधों और महत्वपूर्ण घटनाओं का एक संक्षिप्त विवरण।
शक्ति/साम्राज्य
कालखंड
संबंध का स्वरूप
मुख्य जानकारी
शर्की राजवंश (पूर्ववर्ती)।
पूर्व-मुगल काल
क्षेत्रीय संघर्ष
बाबर, हुमायूँ, अकबर।
प्रारंभिक मध्यकाल
मैत्रीपूर्ण संबंध
जहाँगीर, शाहजहाँ, औरंगजेब।
उत्तर मध्यकाल
कूटनीतिक संतुलन
जुझारू सिंह, पहार सिंह, हृद्यशाह।
उत्तर मध्यकाल
प्रतिद्वंद्विता और संघर्ष
नागपुर के भोंसले और अन्य सरदार।
अराजकता का काल
आर्थिक बोझ
अमीर खान जैसे लुटेरे सरदार।
आतंक का काल
भयावह आक्रमण
सहायक संधि और बढ़ता नियंत्रण।
औपनिवेशिक काल का प्रारंभ
संरक्षण से नियंत्रण
सीधा नियंत्रण और संस्थागत सुधार।
उच्च औपनिवेशिक काल
प्रत्यक्ष नियंत्रण
स्थानीय शक्ति और विद्रोह।
उत्तर मध्यकाल
आंतरिक संघर्ष
स्वतंत्र भारत सरकार।
विलय का काल
एकीकरण
तालिका 4: प्रमुख साहित्यिक एवं ऐतिहासिक स्रोत
इस तालिका में रीवा और बघेलखंड के इतिहास व संस्कृति से संबंधित महत्वपूर्ण साहित्यिक, पुरातात्विक और ऐतिहासिक स्रोतों का उल्लेख है, जो इस क्षेत्र के अतीत को समझने में सहायक हैं।
स्रोत का प्रकार
ग्रंथ/लेखक/स्थल
कालखंड
भाषा/माध्यम
मुख्य जानकारी
स्थानीय काव्य और ग्रंथ।
उत्तर मध्यकाल
लिखित पांडुलिपियाँ
स्वयं राजाओं की साहित्यिक कृतियाँ।
मध्य से आधुनिक काल
लिखित पांडुलिपियाँ
मुगल दरबार के इतिवृत्त।
उत्तर मध्यकाल
लिखित पांडुलिपियाँ
औपनिवेशिक काल के आधिकारिक दस्तावेज़।
औपनिवेशिक काल
मुद्रित
कानूनी और राजनयिक दस्तावेज़।
आधुनिक काल
आधिकारिक दस्तावेज़
गोपनीय सरकारी पत्राचार।
औपनिवेशिक काल
आधिकारिक फाइलें
मौखिक इतिहास और लोकगाथाएँ।
मौखिक परंपरा
मौखिक
स्थापत्य, अभिलेख, मूर्तियाँ।
उत्तर मध्यकाल से आधुनिक
भौतिक अवशेष
विद्वानों द्वारा लिखे गए इतिहास।
आधुनिक शोध
मुद्रित पुस्तकें
रियासतकालीन सिक्के।
आधुनिक काल
धातु अवशेष
तालिका 5: सांस्कृतिक प्रभाव और विरासत
यह तालिका रीवा रियासत के प्रमुख सांस्कृतिक पहलुओं और उसकी समृद्ध एवं स्थायी विरासत को दर्शाती है, जिसने इस क्षेत्र को एक विशिष्ट पहचान दी है।
सांस्कृतिक पहलू
मुख्य बिंदु
विस्तृत जानकारी
संस्कृत और हिंदी साहित्य की परंपरा।
शासकों की रचनाएँ, दरबारी कवियों को आश्रय।
मंदिर, महल और जनकल्याणकारी संरचनाएँ।
महामृत्युंजय मंदिर, रानी तालाब, वेंकट भवन।
बदलते साम्राज्यों के बीच संतुलन।
मुगल, मराठा और ब्रिटिशों के साथ संबंध।
शैव, वैष्णव और शाक्त मतों का संगम।
जगन्नाथ भक्ति, महामृत्युंजय की स्थापना।
शरण में आए लोगों की रक्षा का मूल्य।
हुमायूँ और शाह आलम द्वितीय को शरण देना।
परंपरागत व्यवस्था में सुधार के प्रयास।
भू-राजस्व बंदोबस्त, नए विभागों की स्थापना।
शौर्य, प्रतिरोध और आधुनिकीकरण।
बुंदेला प्रतिरोध, "हनूहंकार" तोप, सेना का आधुनिकीकरण।
दरबारी कला और लोक कला को प्रोत्साहन।
तानसेन की परंपरा, बघेलखण्ड नाटक कम्पनी।
प्रकृति संरक्षण और विश्व प्रसिद्ध पहचान।
सफेद बाघ \'मोहन\', लैंड ऑफ व्हाइट टाइगर्स।
राजधानी रीवा का सौंदर्यीकरण और विकास।
गोला घर, कचहरी भवन, पीली कोठी का निर्माण।